वैजिनल वॉश दिन में किसी भी समय लगाया जा सकता है। यह त्वरित और प्रयोग करने में आसान है, वैजिनल वॉश को अपनी हथेली पर कुछ बूँदों को डालकर और अपनी योनि के बाहरी क्षेत्र की धीरे से मालिश करके लगाया जा सकता है। लगाने के बाद वेजाइना को साफ पानी से अच्छी तरह धो लें। वैजिनल वॉश को पीरियड्स के दौरान भी इस्तेमाल किया जा सकता है और कोई साइड इफैक्ट नहीं छोड़ता है।
एक स्वस्थ योनि में लैक्टोबैसिल्स बैक्ट्रीरिया होता है। यह बैक्ट्रीरिया उच्च स्तर के लैक्टिक एसिड का उत्पादन करता है, जो योनि को थोड़ा अधिक अम्लीय बनाता है और जीवाणु संक्रमण से लड़ने की इसकी क्षमता को बढ़ावा देता है। संक्रमण के कुछ लक्षणों में एक अजीब गंध, अत्यधिक मात्रा में सफेद निर्वहन, और बाद में अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के बीच एसटीआई को पकड़ने की संभावना बढ़ जाती है। वि वॉश में उन लोगों के लिए लैक्टिक एसिड होता है जो पर्याप्त मात्रा में इसका उत्पाद नहीं कर पाते हैं। यह भविष्य में किसी भीग अनावश्यक समस्या से बचने के लिए योनि के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है।
जबकि इसका उपयोग वर्षों से त्वचा के संक्रमण के इलाज में मदद के लिए किया जाता रहा है, क्या आप जानते हैं कि टी ट्री ऑयल के एंटीफंगल गुण योनि के लिए भी अच्छे हैं? खमीर संक्रमण की दवा के रूप में उपयोग किए जाने के अलावा, चाय के पेड़ का तेल योनि से संबंधित सभी प्रकार के संक्रमणों से लड़ने में मदद करता है। यह किसी भी संक्रमण को रोकने में भी मदद करता है जिससे आप अतिसंवेदनशील हो सकते हैं।
यह तेल महिलाओं के निजी क्षेत्रों में पेशाब करते समय सूखापन, खुजली , असामान्य या पानी या तरल निर्वहन, और जलन को रोकने में मदद करता है। कुछ महिलाएं मनोपॉज स्टेज पर पहुँचने के बाद अक्सर ऐसी चीजों की शिकायत करती हैं। सी बकथॉर्न ऑयल में फैटी एसिड होते हैं और यह ऊतकों की लोच या अखंडता में सुधार करने में मदद करता है।
एक सैनिटरी नैपकिन का प्रयोग करना आसान है। तो आइये जानते हैं कि इसका उपयोग कैसे करें-
अमेरिकन कॉलेज ऑफ ऑब्सटेट्रिशियन एंड गाइनकोलॉजिस्ट (ACOG) के मुताबिक, आपको अपना पैड कम से कम हर 4 से 8 घंटे में बदलना चाहिए। इतना ही नहीं, आपको अपना फ्लो ध्यान में रखते हुए भी पैड का यूज और उसे चेंज करते रहना चाहिए। वहीं डॉ. वोहरा बताती हैं कि अपने पैड्स को आप हर 6 घंटे में बदलें तो अच्छा रहेगा। अपने पैड को पूरी तरह से फुल होने से पहले ही बदल लें । पीरियड प्रोडक्ट्स बदलना न सिर्फ हाइजीन के लिए जरूरी है, बल्कि आपकी हेल्थ के लिए भी जरुरी है। बहुत ज्यादा देर तक यह रह जाए तो आपको इंफेक्शन हो सकता है। पीरियड पैड्स को ज्यादा देर तक नहीं बदलेंगी तो वेजाइनल इंफेक्शन हो सकता है और टैम्पोन और मेंस्ट्रूअल कप से टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम (TSS) विकसित होने का जोखिम रहता है। इसी डर से लोग सेनेटरी पैड्स का इस्तेमाल करती हैं। आपने भले ही पैड का इस्तेमाल करें लेकिन उसे सही समय पर बदलना बिल्कुल न भूलें।
आमतौर पर महिलाओं में मासिक धर्म की अवधि शुरु होने के 5 दिन पहले से या 1 हफ्ते पहले से ऐसे लक्षण का अनुभव होता है जिनसे पता चलता है कि मासिक धर्म आ रहा है। इन लक्षणों को प्रीमेंस्टुअल सिंड्रोम (पीएमएस) के रूप में जानते हैं जो मासिक धर्म के कुछ दिनों में ही समाप्त हो जाता है। कुछ ऐसे सामान्य लक्षण है जो दर्शाते हैं कि आपकी मासिक धर्म की अवधि आने वाली है।
कुछ महिलाओं में अन्य महिलाओं की तुलना पीएमएस लक्षण गंभीर होते हैं। यह लक्षण पीरियड्स शुरु होने के 7 दिन पहले होते हैं जो की पीरियड्स आने के 5 दिन बाद तक रह सकते हैं। यह लक्षण आपके काम को प्रभावित कर सकते हैं। तकलीफ ज्यादा होने पर आपको डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए।
यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन यानी UTI एक आम बीमारी है जो ज्यादातर महिलाओं में देखी जाती है, यह बीमारी तब होती है जब रोगाणु मूत्र प्रणाली को संक्रमित कर देते हैं, इसका असर किडनी, ब्लैडर और इन्हें जोड़ने वाली नलिकाओं पर भी पड़ता है, वैसे तो UTI बीमारी आम है लेकिन ध्यान ना दिया जाए तो इसका इंफेक्शन किडनी में भी फैल सकता है और किसी गंभीर बीमारी का कारण बदन सकता है, ज्यादातर यूटीआई की वजह से ब्लैडर इंफेक्शन हो जाता है, इसकी वजह से पेशाब करने में जलन, बार- बार पेशाब लगना, पेट के निचले हिस्से में दर्द होना और पेशाब से दुर्गध आती है, अगर ये बीमारी किडनी तक पहुँच जाए तो पीठ के निचले हिस्से में तेज दर्द महसूस होता है , कई बार इसकी वजह से बुखार , ठंड लगना या उल्टी भी महसूस हो सकती है।
अगर यूटीआई का सही समय पर इलाज ना किया जाए तो ये ब्लैडर से एक या दोनो किडनी में फैल सकता है, किडनी में पहुँच कर बैक्टीरिया इसकी कार्यक्षमता को नुकसान पहुँचाता है, जिन लोगों को पहले से ही किडनी की दिक्कत है, इसकी वजह से उनमें किडनी फेल होने का खतरा बढ़ जाता है, इस बात की भी संभावना है कि यूटीआई खून के जरिए शरीर के दूसरे अंगों में फैल जाए।
यूटीआई मुख्य रुप से ई-कोलाई बैक्टीरिया से होता है, ये बैक्टीरिया मूत्रमार्ग से होते हुए ब्लैडर तक पहुँच जाता है, पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ये समस्या ज्यादा पाई जाती है, यह मेंस्ट्रूअल के समय गंदा कपड़ा प्रयोग करने से तथा अपने वेजिना का उचित सफाई ना करने के वजह से होता है सेक्सुलियटी के बाद भी कुछ लोग अपने वेजिना का सफाई नहीं करते हैं इस समय उचित सफाई करनी चाहिए। और एक निश्चित अंतराल के बाद सेनेटरी पैड को बदल लेना चाहिए और दिन में एक बार वैजनल वाश से वेजिना के आसपास की सफाई निश्चित कर लेना चाहिए।
यह मेंस्ट्रूअल के समय गंदा कपड़ा प्रयोग करने से तथा अपने वेजिना का उचित सफाई ना करने के वजह से होता है सेक्सुलियटी के बाद भी कुछ लोग अपने वेजिना का सफाई नहीं करते है इस समय उचित सफाई करनी चाहिए और एक निश्चित अंतराल के बाद सेनेटरी पैड को बदल लेना चाहिए और दिन में एक बार वेजनल वाश से वेजिना के आस पास की सफाई निश्चित कर लेना चाहिए।